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{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=यादों के रजनीगंधा / संतोष श्रीवास्तव
}}
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<poem>
झील की बाहों में
चाँद के आते ही
सितारों ने
सतह को चूम
लिक्खे बधाई गीत
मुस्कुरा उठे चीड़ वन
हवा की अंगड़ाई में
लरज उठी कुसुमलता
बजते रहे बांस वन
वक्त भी तो ठहर जाता है
प्रेम के विस्तार में
</poem>
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