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जैसे किसी बाग़ी का झण्डा / नाज़िम हिक़मत / मनोज पटेल
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29 मार्च
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रात नौ और दस के बीच लिखी गई कविताएँ - 4
'''(पत्नी पिराए के लिए)'''
04
दिसम्बर
1945
अपने वही कपड़े निकालो
जिन्हें पहने हुए थीं तब,
अनिल जनविजय
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