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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>मुझे दिया गया शरीर, मैं क्या करूँ इसका?
जितना बेजोड़ यह मेरा है और भला किसका ?
इस शान्त ख़ुशी, इन साँसों सांसों और जीवन के लिए
किसका शुक्रिया अदा करूँ मैं, बताओ प्रिय ?
मैं ख़ुद ही माली हूँ और मैं ही तो हूँ बग़ीचा,
दुनिया के इस अन्धेरे में, सिर्फ़ मैं ही नहीं हूँ रीता ।
दुनिया अमरत्व के इस अंधेरे मेंकाँच पर, सिर्फ़ मैं ही नहीं हूँ रीता ऐ फ़क़ीर !लेटी हुई है आत्मा मेरी और शरीर ।
इस काँच पर ख़ुदे हुए हैं कुछ बेलबूटे ऐसे,
पहचानना कठिन है जिन्हें पिछले कुछ समय से ।
अमरत्व के इस काँच पर, ऎ फकीर !समय की गन्दी धारा यह बह जाने दोख़ुदे हुए इन प्रिय बेलबूटों को रह जाने दो ।
लेटी हुई है आत्मा मेरी और शरीर ।
(रचनाकाल : 1909)
इस काँच पर ख़ुदे हुए हैं कुछ बेलबूटे ऎसे,'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय''''''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए''' Осип Мандельштам Дано мне тело — что мне делать с ним…
पहचानना कठिन है जिन्हें पिछले कुछ समय से ।Дано мне тело — что мне делать с ним,Таким единым и таким моим?
За радость тихую дышать и жить
Кого, скажите, мне благодарить?
समय की गन्दी धारा यह बह जाने दोЯ и садовник, я же и цветок,В темнице мира я не одинок.
ख़ुदे हुए इन प्रिय बेलबूटों को रह जाने दो ।На стекла вечности уже леглоМое дыхание, мое тепло.
Запечатлеется на нем узор,
Неузнаваемый с недавних пор.
(रचनाकाल : Пускай мгновения стекает мутьУзора милого не зачеркнуть. 1909)г.</poem>