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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
ओह !
कितना पसन्द है हमें
दिखावा करना
और कितनी सहजता से हम
यह भूल जाते हैं, प्यारे
कि बचपन में मृत्यु होती है
अधिक निकट हमारे
बच्चा
जब ठीक से सो नहीं पाता
चिड़चिड़ाता है
पर मैं भला किस पर
हो सकता हूँ नाराज़
जब अकेला चल रहा हूँ
अपनी राह पर आज
मैं सोना नहीं चाहता
गहरे जल में डूबी मछली-सा
निश्चिन्त बेहोश नींद
मुझे प्रिय है
राह अपनी स्वतन्त्र
जानता हूँ निष्कंटक नहीं वह
कठिनाइयाँ
उस पर होंगी अनन्त
(रचनाकाल : 14 फरवरी, 1932)
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Осип Мандельштам
О, как мы любим лицемерить
(रचनाकाल : 14 फरवरीО, как мы любим лицемеритьИ забываем без трудаТо, что мы в детстве ближе к смерти,Чем в наши зрелые года. Ещё обиду тянет с блюдцаНевыспавшееся дитя,А мне уж не на кого дутьсяИ я один на всех путях. Но не хочу уснуть, как рыба,В глубоком обмороке вод,И дорог мне свободный выборМоих страданий и забот. 1932)г.</poem>