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Kavita Kosh से
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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
अस्थिर है
छवि तुम्हारी
और बेहद यातनादायक
कोहरे में मैं छू नहीं पाया उसे
पर मुँह से निकला अचानक-- ऎ — ऐ ख़ुदा!
हालाँकि सोचा नहीं था मैंने
कि ऎसा कहूंगाऐसा कहूँगा
ईश्वर का नाम
जैसे मेरे हृदय से निकलकर उड़ा
एक बड़ा पक्षी है कोई
जिसके सामने लहरा रहा है
घना कोहरा
और पीछे है ख़ाली पिंजरा