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सोमवार को 14:26 बजे {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=मदनलाल मधु
|संग्रह=
}}
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<poem>
बच्चा यहाँ अरे, रोता है, हँसता है
मुँह से लेकिन शब्द नहीं कह सकता है ।
आएगा, वह दिन भी आख़िर आएगा,
कौन, किसलिए जग में आया, सबको यह बतलाएगा ।
'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
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