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भ्रम के बादल
भाव रचते हैं।
आत्मा की गीली मिट्टी में —
प्रेम के अँखुए फूटते हैं।
तुमने देखा ही होगा —मरुस्थल की कोख मेंहिलोरे लेता समंदर,मृगमरीचिका नहीं —नागफनी को जन्म देता है।और फिर,उस नागफनी कोप्रेम में धीरे-धीरे सूखते हुए भी,तुमने देखा ही होगा?और यदितुमने नहीं देखा —तो बस इतना कि कैसेउसके लिखे एक-एक प्रेम-पत्र,उसी की काया पर उग आए थेकाँटे बनकर।
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