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सोमवार को 17:15 बजे {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चन्द्र त्रिखा
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|संग्रह=
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<poem>
एक समन्दर
मेरे अंदर
सब कुछ नश्वर
नाच कलंदर
जो जीतेगा
वही सिकंदर
गोरख आया
जाग मच्छन्दर
राम मदीने
अल्लाह मंदर
दिल मेरा है
तेरे अन्दर
</poem>
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