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<poem>
जाने किस ने आग लगाई पानी में
हम ने पूरी रात बिताई पानी में

सब ने अपने सपने देखे और हमें
इक चेहरा बस दिया दिखाई पानी में

डूब समुंदर के अंदर मुझ प्यासे ने
पानी की तस्वीर बनाई पानी में

सारे पश्चाताप नदी में कूद गए
उस ने जब हुँकार उठाई पानी में

थोड़ा थोड़ा ज़हर मिलाया था सब ने
हम ने शक्कर ख़ूब मिलाई पानी में
</poem>
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