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भविष्यसबसे दिलचस्प उपन्यास हैजो मुझे पढ़ने के लिए मिला नहींवो इलाका है यह, जहाँ कोहरे का अधिवास हैमन्दिर है वो, जिसकी अभी रखी गई शिला नहीं ।'''एक असीरियाई शिलालेख'''
1922 सब शाहों का बादशाह ज़मीन पर, मैं अशुराहिद्दीन ।सब सरताजों और सरदारों को, करता मैं ग़मगीन ।आफ़त का परकाला हूँ मैं, बना देता सबको दीन ।जब तख़्त सम्हाला मैंने, बग़ावत सीदोन ने की संगीन,उसे काटकर समुन्दर में फेंका, सज़ा दी बदतरीन ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''मिस्र में जो भी कहता था मैं, वह बन जाता कानून ।एक नज़र में क़िस्मत पढ़ ली मेरी, एलाम ने नुजूम ।दुश्मन के हाड़ों को तोड़ बनाया, तख़्त अपना सुख़ूमसब सरताजों और सरदारों का, कर देता हूँ ख़ून ।आफ़त का परकाला हूँ मैं, हूँ पूरा अफ़लातून ।
मुझ से बढ़कर कौन होगा ? मेरे बराबर कौन ?
जुनूनी ख़्वाबों में आएगा क्या, सबका औन-पौन ?
बच्चों के खिलवाड़-सा है हर जंग में फ़तह का ख़्वाब
ओ ज़मीनी आन बान शान मैंने कर दिया तेरा हिसाब
अब आज मैं हूँ खड़ा अकेला, बन गया अज़ीमुद्दीन
सब शाहों का बादशाह ज़मीन पर, मैं अशुराहिद्दीन ।
1897
 
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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'''लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Valery Bryusov
1897
'''Translated from Russian by Peter Tempest'''
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'''लीजिए, अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए'''
Валерий Брюсов
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