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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हैरॉल्ड पिंटर |संग्रह= }} <Poem> मौत की उम्र तो हो चली...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हैरॉल्ड पिंटर
|संग्रह=
}}
<Poem>
मौत की उम्र तो हो चली है
पर उसके पंजे में अब भी दम है
पर मौत आपको निहत्था कर देती है
अपने पारदर्शी प्रकाश से
और वो इतनी चतुर है
कि आपको पता भी नहीं चले
वो कहाँ आपके इंतज़ार में है
आपकी इच्छाशक्ति को मोह लेने को
और आपको निर्वस्त्र कर देने को
जब आप सज रहे हों क़त्ल करने को
पर मौत आपको मौका देती है
अपनी घड़ियों को जमा लेने का
जब वो चूस रही हो रस
आपके सुंदर फूलों का
'''मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=हैरॉल्ड पिंटर
|संग्रह=
}}
<Poem>
मौत की उम्र तो हो चली है
पर उसके पंजे में अब भी दम है
पर मौत आपको निहत्था कर देती है
अपने पारदर्शी प्रकाश से
और वो इतनी चतुर है
कि आपको पता भी नहीं चले
वो कहाँ आपके इंतज़ार में है
आपकी इच्छाशक्ति को मोह लेने को
और आपको निर्वस्त्र कर देने को
जब आप सज रहे हों क़त्ल करने को
पर मौत आपको मौका देती है
अपनी घड़ियों को जमा लेने का
जब वो चूस रही हो रस
आपके सुंदर फूलों का
'''मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य
</poem>