{{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
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|नाम=प्रेम नारायण 'पंकिल'
|रचनाकार=[[प्रेम नारायण 'पंकिल']]
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|भाषा=हिन्दी
|विषय=खंडकाव्य
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|विविध=--
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* [[व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[थे नाप रहे नभ ओर-छोर चढ़ धारधार पर धाराधर / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[बोली "सुधि करो प्राण !कहते थे हमने देखा है सपना / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते "तव अरुण राग पद से भू अम्बर छपना देखा था / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[था कहा "धूसरित ग्रीष्म गगन या सरस बरसता पावस हो। / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना। / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[था कहा "अधर-रस-सुधा पिला" तन्वंगी ने तब था पूछा । / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[सुधि करो कहा था तुमने ही "चाहता नहीं कुछ और प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[था कहा "धूसरित ग्रीष्म गगन या सरस बरसता पावस हो। / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना। / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[सुधि करो प्राण पूछा तुमने "क्यों मौन खड़ी ब्रजबाला हो? / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते थे "मौन उषा गवाक्ष से प्राण! झांकता सविता हो / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[था कहा प्राण! तुमने मुझसे, “ढल रही यामिनी ढला करे / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते थे प्राण! “अखिल जग में गुंजित दुख-द्वन्द्व और ही है / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते, “रंजित करतीं जग को अमिता शरदेन्दु कलायें हैं/ प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कंटकित हो गयी स्निग्ध सेज डॅंस रहा सर्पिणी-सदृश सदन / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[आ जा व्रजपति के परम दुलारे! माखन तुम्हें खिलाऊँगी / प्रेम नारायण 'पंकिल']]