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।रचनाकार|रचनाकार=जानकीवल्लभ शास्त्री
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रुक गयी नाव जिस ठौर स्वयं, माझी, उसको मझधार न कह !
ढूँढे, आलोक-लोक अपना,
तव सिन्धु पार जाने वाले को, निष्ठुर, तू बेकार न कह !
 
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