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नौ सपने / भाग 9 / अमृता प्रीतम

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<poem>
मेरा कार्तिक धर्मी,
मेरी ज़िन्दगी सुकर्मी
मेरी कोख की धूनी,
काते आगे की पूनी

दीप देह का जला,
तिनका प्रकाश का छुआ
बुलाओ धरती की दाई,
मेरा पहला जापा...

<pre>... ... ...</pre>
</poem>
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