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19:22, 15 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=भारत भारद्वाज
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[[Category:कविताएँ]]
<Poem>
भले सरकारी मकान हो
लेकिन जिस घर में
आप रह रहे हों
दस साल से
जिस घर से
जुड़ा रहा है आपका सुख-दुख
कमरे से, दीवारों से, खिड़कियों से
आँगन से, छत से
उस घर को
टूटते हुए देखना
अपने अतीत को मिटाना है
वर्तमान में अकेला होना है।
</poem>