भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर का टूटना / भारत भारद्वाज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


भले सरकारी मकान हो

लेकिन जिस घर में
आप रह रहे हों
दस साल से

जिस घर से
जुड़ा रहा है आपका सुख-दुख
कमरे से, दीवारों से, खिड़कियों से
आँगन से, छत से

उस घर को
टूटते हुए देखना
अपने अतीत को मिटाना है
वर्तमान में अकेला होना है।