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पानी के संस्मरण / रघुवीर सहाय

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|रचनाकार =रघुवीर सहाय
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<poem>
कौंध। दूर घोर वन में मूसलाधार वृष्टि
दुपहर : घना ताल : ऊपर झुकी आम की डाल
बयार : खिड़की पर खड़े, आ गई फुहार
रात : उजली रेती के पार; सहसा दिखी
शान्त नदी गहरी

मन में पानी के अनेक संस्मरण हैं।
</poem>