भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पानी के संस्मरण / रघुवीर सहाय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कौंध । दूर घोर वन में मूसलाधार वृष्टि
दुपहर : घना ताल : ऊपर झुकी आम की डाल
बयार : खिड़की पर खड़े, आ गई फुहार
रात : उजली रेती के पार; सहसा दिखी
                    शान्त नदी गहरी

मन में पानी के अनेक संस्मरण हैं ।