भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सौरीन्‍द्र बारिक
|संग्रह=
}}
<Poem>
 
सुबह की तरह
एक जानी-पहचानी नवीनता में
देह में शीतल उष्‍णता भर कर
तुमने मुझे उन्‍मत्‍त किया था।
 
'''मूल उड़िया से अनुवाद : वनमाली दास
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,627
edits