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सुबह की तरह / सौरीन्द्र बारिक
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सुबह की तरह
एक जानी-पहचानी नवीनता में
चकित किया था मुझे।
तुमने मुझमें
काकली-सी
कोलाहल पूर्ण मधुरता भरकर
मुग्ध किया था।
फिर चंद्रिका-सी
देह में शीतल उष्णता भर कर
तुमने मुझे उन्मत्त किया था।
मूल उड़िया से अनुवाद : वनमाली दास