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गोलमहल / ऋषभ देव शर्मा

35 bytes added, 18:43, 19 अप्रैल 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=ताकि सनद रहे / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>
गोल महल में
भारी बदबू,
सीलन औ' अवसाद;
धुप से
टूट गया संवाद .संवाद।
कुर्सीजीवी कीट
बन जाने दें -
खाद !
 
 
</poem>
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