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और ऊपर से
महंगाई के मारे हवा बन्द है
आई.टी.ओ. हमारे यहाँ आता
तो भला क्या पाता?
वें बोलीं : "तुम तो कवि हो न
आँसू को मोती
और वेदना को हीरा समझते हो
काश!
एंकम्टैक्स वाले
हमारे यहाँ आते
तो तुम्हारे
हीरे और मोती तो पाते
नोटों की गड्डी न सही
लाख दो लाख
आँसू ही ले जाते।"
हमने कहा:"पगली
किसी को हमारे आँसुओं से
क्या लेना देना
अगर आँसू भी
लेन देन का माध्यम हो गया होता
तो हमारे पास वो भी नहीं होता
ग़रीब की आँखो कि बजाय
तिज़ोरी में बन्द हो गया होता
तिज़ोरी!
जिसमें बन्द है
लहलहाते खेत की मुस्कान
थके हारे होरी का पसीना
मजबूर धनिया का यौवन
सावन का महीना
सिसकती पायल की झंकार
भूकी और बेबस रधिया का प्यार
अनाथालय का चन्दा
और अपनी ही लाश ढोता हुआ
किसी गरीब बच्चे का कन्धा।"
वे बोलीं: "चुप हो जाओ
लाला के रेडिओ से
ऊँचा बोल रहे हो
रेडिओ बिजली से चलता है
उसका क्या बिगडता है
तुम तो ब्लड प्रेशर के मरीज़ हो
अभी पसर जाओगे
फिर तुम जहाँ चीख़ रहे हो
वह कविता का मंच नहीं
तुम्हारे डेढ़ कमरे के शीश महल का
पलस्तर उखड़ा बरामदा है
ब्याह भी हुआ तो कवि से
भगवान जाने
किस्मत में क्या बदा है
इंकमटैक्स देने लायक भी नहीं। "