Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हिमांशु पाण्डेय }} <poem> बोलो कैसे रह जाते हो तुम ब...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हिमांशु पाण्डेय
}}
<poem>

बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले
जब कोई स्नेही द्वार तुम्हारे आकर तेरा हृदय टटोले ।

जब भी कोई पथिक हांफता , तेरे दरवाजे पर आए
तेरे हृदय शिखर पर अपनी प्रेम-पताका फहराए,
जब तेरी आतुरता में , कोई भी विह्वल मन डोले -
बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले ।

जब भी कोई तुम्हें समर्पित, तुमको व्याकुल कर जाता है
तेरे मन की अखिल शान्ति में करुण वेदना भर जाता है ,
जब भी कोई हेतु तुम्हारे, हो करुणार्द्र नयन भर रो ले -
बोलो कैसे रह जाते हो तुम बिन बोले ।
</poem>
916
edits