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|रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र'
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'''लेखन वर्ष: 2004

नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही
मुझको मोहब्बत है’ तुम से ही

नाज़ है तुम्हें’ थोड़ा ग़ुरूर मुझे
मैंने दिल लगाया है’ तुम से ही

आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे’ तुम से ही

आज दूरियाँ हैं तेरे-मेरे बीच
ज़रूर कल मिलेंगे’ तुम से ही
</poem>