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नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही/ विनय प्रजापति 'नज़र'

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लेखन वर्ष: २००४/२०११

नहीं आसाँ तो मुश्किल ही सही
मुझको मोहब्बत है तुमसे ही

आज न पिघला तो कल पिघलेगा
यह बात हम सुनेंगे तुमसे ही

नाज़ हैं तुमको, ग़ुरूर है मुझे
मेरे दिल की ख़ता है तुमसे ही

आज दूरियाँ हैं तुझमें-मुझमें
कि ज़रूर कल मिलेंगे तुमसे ही

बहता वक़्त इक सिफ़र ही तो है
फिर जो मिला दिया है तुमसे ही