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प्यार / परवीन शाकिर

50 bytes added, 04:15, 24 नवम्बर 2021
{{KKRachna
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=ख़ुशबू / परवीन शाकिर
}}
{{KKCatNazm}}<poem>अब्र-ए-बहार ने <br>फूल का चेहरा <br>अपने बनफ़्शी हाथ में लेकर <br>ऐसे चूमा <br>फूल के सारे दुख<br> ख़ुश्बू ख़ुशबू बन कर बह निकले हैं<br><br/poem>
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