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नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> '''दो शे’र''' तसव्वुर अपना, अपनी आर...
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
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'''दो शे’र'''

तसव्वुर अपना, अपनी आरज़ू, शौक़े-फ़ुज़ूल अपना
लब उसके, आरिज़ उसके, नक्‌हने-ज़ुल्फ़े-दराज़<ref>लम्बे केशों की सुगंध</ref> उसकी

ख़मोशी एक गुबाँगे-बहारे-आशिक़ाना है
तबस्सुम उसकी ग़ज़लें, रूए-रौशन है बयाज़ उसकी

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