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दो शे’र२ / अली सरदार जाफ़री
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तसव्वुर अपना, अपनी आरज़ू, शौक़े-फ़ुज़ूल अपना
लब उसके, आरिज़ उसके, नक्हने-ज़ुल्फ़े-दराज़<ref>लम्बे केशों की सुगंध</ref> उसकी
ख़मोशी एक गुबाँगे-बहारे-आशिक़ाना है
तबस्सुम उसकी ग़ज़लें, रूए-रौशन है बयाज़ उसकी
शब्दार्थ
<references/>