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कुछ फुटकर शेर / फ़ानी बदायूनी
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11:23, 6 जुलाई 2009
रफ़्तए-नज़र<ref>उपेक्षित दृष्टि</ref> हो जा, सबसे बेख़बर हो जा।
खुल
गय
गया
है राज़ अपना खुल न जाये राज़ उनका॥
चंद्र मौलेश्वर
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