भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
आज़ादी-ए-हयात का सामान कर दिया
शेख़ और बिरहमन में बढ़ाया इत्तिहाद
गोया उन्हें दो कालिब-ओ-यकजान कर दिया
ज़ुल्मोज़ुल्मो-सितम की नाव डुबोने के वास्ते
क़तरे क़तरे को आंखों-आंखों में तूफ़ान कर दिया