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न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार <ref></ref> देखते जाओ<br>
कि जी न चाहे तो नाचार देखते जाओ<br><br>
खिला हुआ है ये गुलज़ार देखते जाओ<br><br>
हुआ है क्या अभी हंगामा अभी कुछ होगा<br>
हुई है लड़ने को तय्यार देखते जाओ<br><br>
न जाओ बंद किए आँख रहरवान-ए-अदम<ref>परलोक सिधारने वाले</ref><br>
इधर-उधर भी ख़बरदार देखते जाओ <br><br>
कोई न कोई हर इक शेर में है बात ज़रूर<br>
जनाबे-दाग़ के अशआर देखते जाओ<br><br>