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जिस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का.. / श्रद्धा जैन
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16:09, 15 जुलाई 2009
हुस्न के, नाज़ भी उठाता है
इश्क़ को, इहतियाज
<ref>Need</ref>
फूलों का
इहतियाज = Need
नफ़रतों को, मिटा हैं सकते गर
लाई “श्रद्धा” भी मोगरे की लड़ी
लौट आया, रिवाज फूलों का
{{KKMeaning}}
</poem>
Shrddha
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