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वायु / माखनलाल चतुर्वेदी

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|रचनाकार=केदारनाथ अग्रवालमाखनलाल चतुर्वेदी
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<poem>
चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हवा,
विश्व-सांसें गीत गाने-सी लगीं।
जग उठा तरु-वृंद-जग, सुन घोषणा,
 
पंछियों में चहचहाट मच गई,
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