542 bytes added,
17:24, 3 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
|संग्रह=
}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>
उम्मीदे-अमन क्या हो याराने-गुलिस्ताँ से।
दीवाने खेलते है अपने ही आशियाँ से॥
बिजली कहा किसी ने, कोई शरार समझा।
इक लौ निकल गई थी, दागे़-ग़मे-निहाँ से॥
</poem>