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13:32, 4 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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[[Category:गज़ल]]
<poem>
गुम कर दिया इन्साँ को यहाँ लाके किसी ने।
समझे ही नहीं शोब्दे दुनिया के किसी ने॥
जब जोशे-तमन्ना को न रुकते हुए देखा।
आग़ोश में ले ही लिया घबरा के किसी ने॥
</poem>