605 bytes added,
16:54, 23 अगस्त 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सफ़ी लखनवी
}}
<poem>
इन्सान को उसने ख़ाक से पाक क्या।
जी-हौसलये-ओ-साहबे-इदरीक<ref>साहसी एवं विवेकी</ref> किया॥
पहले तो बनाया उसे गंजीनये-इल्म<ref>इल्म का भंडार</ref>।
फिर गंज को पोशीदा-तहे-ख़ाक<ref>कब्र में गाड़ दिया</ref> किया॥
</poem>
{{KKMeaning}}