भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पेड़ पर वार / सुदर्शन वशिष्ठ

1,152 bytes added, 20:42, 31 अगस्त 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ |संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ }} <...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
<poem>माँस मज्जा
नसें और हड्डियाँ चटकाते
वार पर वार
सहता है पेड़।

जानता है पेड़
कि लोहे की कुल्हाड़ी हो
या दाँतो वाला आरा
काठ बिना
लोहे का टुकड़ा
हथियार
ठण्डा और निष्प्राण।

नहीं डगमगाता पेड़ भीषण अंधड़ से
काटती हैं उसे अपनी ही
टहनी की धार।

न बोलता है
न सिसकता है
सहता है वार पर
गिरने पर
चिघाड़ता है बस एक बार
तहस नहस करता है आस-पास
घटोत्कच की तरह
चतुर कर्ण बच निकलता है बार-बार!
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits