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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=साक़िब लखनवी }} <poem> ज़मानेवालों को पहचानने दिया ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=साक़िब लखनवी
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ज़मानेवालों को पहचानने दिया न कभी।
बदल-बदल के लिबास अपने इनक़लाब आया॥

सिवाय यास न कुछ गुम्बदे-फ़लक से मिला।
सदा भी दी तो पलटकर वही जवाब आया॥


</poem>