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पुल / अवतार एनगिल
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05:17, 27 अप्रैल 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक
/ अवतार एनगिल; तीन डग कविता
/ अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>दूर
बहुत दूर
सुनाई दे रही
ख़ुश्बू की आहट
पास बहुत
पास
भटकती है
गुलमोहरी कसक
दूरी और सामीप्य में
लहरा रहा है
एक क्षण।</poem>
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