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तब रोक न पाया मैं आँसू / हरिवंशराय बच्चन
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17:39, 27 सितम्बर 2009
कर देना चाहा अजर-अमर,
जब विस्मृति के पीछे छिपकर मुझ पर
वह
मेरा
मधुगान
गान
हँसा!
तब रोक न पाया मैं आँसू!
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