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{{KKRachna
|रचनाकार=महादेवी वर्मा
}}
<poem>दिया क्यों जीवन का वरदान?

इसमें है स्मृतियों का कम्पन;
सुप्त व्यथाओं का उन्मीलन;
स्वप्नलोक की परियाँ इसमें
भूल गयी मुस्कान!

इसमें है झंझा का शैशव;
अनुरंजित कलियों का वैभव;
मलयपवन इसमें भर जाता
मृदु लहरों के गान!

इन्द्रधनुष सा घन-अंचल में;
तुहिन विन्दु सा किसलय दल में;
करता है पल पल में देखो
मिटने का अभिमान!

सिकता में अंकित रेखा सा;
वात-विकम्पित दीपशिखा सा;
काल कपोलों पर आँसू सा
ढुल जाता हो म्लान!</poem>
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