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01:11, 28 अक्टूबर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजीव रंजन प्रसाद
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>अबकि जब बहुत दर्द कलेजे में उठेगा
हम कलेजा चबा जाएंगे अपना
पोर-पोर चीर देती टीसों से तो बेहतर है
बेकलेजा आदमी..
२२.०४.१९९५</poem>