भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बेकलेजा आदमी / राजीव रंजन प्रसाद
Kavita Kosh से
अबकि जब बहुत दर्द कलेजे में उठेगा
हम कलेजा चबा जाएंगे अपना
पोर-पोर चीर देती टीसों से तो बेहतर है
बेकलेजा आदमी..
२२.०४.१९९५