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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अनंत कुमार पाषाण
}}
{{KKCatKavita}}<poem>दो तेज रेलगाडियों की तरह
हम एक-दूसरे के पास से गुजर गए,
एक की लम्बाई से दूसरे की लम्बाई नप गई।
जहां रेलगाडियां
सभी रुक जाती हैं।
</poem>