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प्रार्थना / अनीता वर्मा

1 byte added, 16:12, 4 नवम्बर 2009
अनुभूति मुझे मुक्त करो
आकर्षण मैं तुम्हारा विरोध करती हूँ
जीवन मैं तुम्हारे भीतर से चलकर आती हूँ।</poem>
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