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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
|संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री
}}
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<poem>
 
प्यास भी एक समन्दर है समन्दर की तरह
जिसमें हर दर्द की धार
और हर मौज
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़
 
<poem>