Last modified on 31 दिसम्बर 2014, at 21:49

प्यास भी एक समन्दर है / अली सरदार जाफ़री


प्यास भी एक समन्दर है समन्दर की तरह
जिसमें हर दर्द की धार
जिसमें हर ग़म की नदी मिलती हैं
और हर मौज
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़