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[[Category:ग़ज़ल]]
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फिर उसी राहगुज़र पर शायद
हम कभी मिल सकें मगर शायद
जान पहचान से ही क्या होगा
फिर भी ऐ दोस्त ग़ौर कर शायद
फिर उसी राहगुज़र पर शायद <br>मुन्तज़िर जिन के हम रहे उनको हम कभी मिल सकें मगर गये और हमसफ़र शायद <br><br>
जान पहचान से ही क्या होगा <br>फिर भी ऐ दोस्त ग़ौर कर शायद <br><br> मुन्तज़िर जिन के हम रहे उनको <br>मिल गये और हमसफ़र शायद <br><br> जो भी बिछड़े हैं कब मिले हैं "फ़राज़" <br>फिर भी तू इन्तज़ार कर शायद <br><br/poem>
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