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Kavita Kosh से
भूरी आँखों में दमकता हुआ गहरा कजरा
रक्स करती हुई रिमझिम के मधुर ताल के ज़ेर-ओ-बम पर
झूमती नुक र ई नुकरई पाज़ेब बजाती हुई आँगन में उतर आई है
थाम कर हाथ ये कहती है
मिरे साथ चलो लड़कियाँ
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