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हर क़दम पर नक़्श-ए-पा राहबर देखा किये
यास जब छाई उम्मीदें हाथ मल कर रह गइ गईं दिल की नबज़ें नब्ज़ें छुट गयीं और चारागर <ref>उपचारक</ref> देखा किये
रुख़ <ref>चेहरा</ref> मेरी जानिब <ref>ओर्</ref> निगाह-ए-लुत्फ़ <ref>आनंद-दायक दृष्टि</ref> दुश्मन की तरफ़ यूँ उधर देखा किये गोया <ref>जैसे कि</ref> इधर देखा किये
दर्द मंदान-मंदाने-वफ़ा की हाये रे मजबूरियाँ दर्द-एदर्दे-दिल देखा न जाता था मगर देखा किये
तू कहाँ थी ऐ अजल अज़ल<ref>मृत्यु</ref> ! ऐ नामुरादों की मुराद !मरनेवाले मरने वाले राह तेरी उमर उम्र भर देख किये
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